तांत वाद्य
इस वर्ग के आनेवाले तार वाद्य हैं निरी, एकत्तारा या गुपिज़न्त्र, सारंगी, टुईंला, भूआग, आनन्द लहरी आदि। कैदेरी, तरंगी, टुईला, एकतारा मुख्यत : स्वर-बाद्या हैं, जो कंठ संगीत के साथ बजाये जाते हैं। कभी-कभी कंठ संगीत के विना भी केवल धुने इनमें बजाई जाती हैं। भूआग और आनन्द लहरी मुख्यत: ताल के लिए प्रयुक्त होते हैं। जबकि एकतारा में गायक को आघार-स्वंर तथा ताल दोनों का सहारा मिल जाता है ।