बांस शिल्प
बांस शिल्प झारखंड ही नहीं बल्कि विश्व के प्राचीनतम एवं अत्यंत लोकप्रिय शिल्पों में से एक है। इस सुलभ, सरल एवं लोकप्रिय शिल्प की कृतियाँ, गाँव ही या शहर, प्रत्येक घर में अनिवासी: किसी न किसी रूप से विद्यमान रहती है। बांस शिल्प का काम प्रमुखता: यल, हो, गोड, पहाडिया आदि जनजातियों द्वारा किया जाता है, किन्तु कमोवेश हर जनजाति बांस के उपयोग एवं महत्व को जानती है। ये अद्भुत शिल्पी बांस से अनेक उपयोगी एवं मनमोहक वस्तुएँ तैयार करते हैं। बास से बनाई जाने वाली वस्तुओं में सूप, टोकरी , कंधे पर ढोई जाने वाली बहगी, मछली फँसाने का जाल हत्यादि प्रमुख हैं। अब कुछ सामान्य उपयोग की वस्तुएँ यथा फूलदान, है, हैंडबैग आदि का निर्माण बांस से किया जाने लगा हैं। वत्स शिल्प का काम प्रमुखत : संथालपरगना, राँची एवं सिंहभूम आदि जिलों में होता है।