मुंडारी नृत्य
झारखण्ड में मुंडा समाज की अपनी पहचान उनकी भाषा और संस्कृति को लेकर है। इनके नृत्य भी ऋतु परिवर्तन के अनुरुप पृथक-पृथक राग, लय, ताल पर माल भर चलते रहते हैं, जो इनके उत्सव, पर्व-त्योहार के द्योतक भी हैं। गुच्छा समाज के प्रमुख नृत्य हैं-जदुर, अंरिजदुर, निरजदुर, जापी, होना, चिटिद, करम, खैमटा, उगा, औरजगा, जतरा, महका, बुरु, जाती नृत्य आदि। इनकी विशेषता है कि महिला दल में पुरुष जुड़ कर नहीं नाचते।