झारखण्ड कला मंदिर

झारखण्ड कला मंदिर

झारखण्ड कला मंदिर, राँची/दुमका निर्देशिका

भूमिका

यह संस्था सन 1949 ई. में भारतीय नृत्य कला मंदिर, फ्रेजर राड, छजनुबाग पटना आकाशवाणी- पटना के निकट)प्रारम्म की गई थ्री । बिहार सरकार के प्रयास से राची में भारतीय नृत्य कला मंदिर, राची की स्थापना सन 1970 ई. में (वर्तमान में मुखयमंत्री सचिवालय भवन) काकं रोड राँची से की गई थी एबं संथाल नृत्य कला कंन्द्र, दुमका की स्थापना 1979 हैं, (जुबली हॉल सिदृहौ-कान्दू इन्डोर स्टेडियम के समीप) से हुई थी। इन महत्वपूर्ण संस्थाओं की स्थापना में पदम जी रव० हरि उप्पल संस्थापक, निदेशक का सराहनीय योगदान रहा है । पदम श्री रव० हरि उप्पल प्रसिद्ध नर्तक (भारतनाट्यम नृत्य, कथकली नृत्य एबं मणिपुरी नृत्य)एबं सर्वप्रथम विदेश(मास्को) में भी डेमोटरटेर का कार्य प्रारम्भ किये है ।

राज्य विभाजन कं उपरात झारखपड सरकार ने भारतीय नृत्य कला मंदिर को झारखपड राज्य से झारखण्ड कला मंदिर कं नाम से संस्था का निबंधन किया गया है । संस्था का निबंधन संख्या 115/03-04 एव एक नियमावली भी है। यह संस्था राज्य कं प्रमुख सांस्कृतिक संस्थाओं के अंतर्गत प्रशिक्षण कंन्द्र है । मुख्य संस्था राची में एबं शाखा दुमका में संचालित हें। प्रतिवर्ष राज्य सरकार की और से अनुदान प्राप्त की जाती रही है ।

उद्देश्य  :
सस्था का मुख्य उद्देश्य लुप्त हो रहे नृत्य, संगीत, वाद्य-यत्रों को पुनर्जीवित रखना है । झारखण्ड कला मदिर के माध्यम रने पूरे भारतवर्ष से नृत्य, संगीत एबं वाद्य-यंत्र प्रचलित है प्रशिक्षण कं द्वारा बालक-बालिकाओं को प्रशिक्षित करना है । इस संस्थान में नृत्य, संगीत, वाद्य-बंत्र एबं झारखण्ड' राज्य के प्रमुख नृत्यों का प्रशिक्षण दिया जाता है। नृत्य से कत्थक नृत्य, भरतनाट्यम नृत्य, उडिसी नृत्य, लोक नृत्य, उराव नृत्य, मुंडा नृत्य वाद्य-यंत्र - तबला, बांसुरी, मादर, ट्रिपल ड्रम । अन्य में कंठ - संगीत चित्रकला का भी प्रशिक्षपा दिया जाता है ।
वर्तमान में झारखण्ड कला मंदिर कं माध्यम से भारतवर्ष में नृत्य, संगीत एबं वाद्य-यत्र प्रचलित है । इन सभी विद्याओं में इगरखपड राज्य के बालक बालिकाएं प्रशिक्षण का लाम प्राप्त कर सकते है 1

पैतृक संसथान का अलग होने का समय
राज्यपाल के सचिव, बिहार कं पत्रांक…299/जी॰एस॰ पटना दिनाक 16 दिसम्बर 1999 के निर्देशानुसार सचिव कला, संस्कृति एबं युवा कार्य, बिहार सरकार को भारतीय नृत्य कला मंदिर, सौंपी  गईं थी । राज्य विभाजन के उपरान्त सचिव कला, संस्कृति एबं युवा कार्य बिहार सरकार पटना ने सचिव कला, संस्कृति,खेलकूद एबं युवा कार्य विभाग झारखण्ड सरकार को झारखण्ड कला मंदिर संस्थक्त का सौंपा गया हैं ।

पूर्व में संस्था का सञ्चालन स्थल

भारतीय नृत्य कला मंदिर, राँची की स्थापना सन 1970 में हुइं थी। प्रारम्भ में संस्था का संचालन स्थल कांके  रोड, (वर्त्तमान में नुख्यमत्री सचिवालय) राँची में होता था। झारखण्ड राज्य गठन के उपरान्त दिनांक 18अकदूबर 2008 से प्रशिक्षण का कार्य प्रारम्भ किया गया । मौरहाबादी में N.G.O.C परिसर गॉधी मूर्ति के सामने के भवन से संचालित था। वर्तमान में दिनाक 23/02/2012 से डॉ० रामदयाल गुण्डा राजकीय कला भवन, खेलगोआं होटवार, राँची से झारखपड कला मंदिर का सांस्कृतिक प्रशिक्षण एबं शोध कार्य संचालित हो रहा है ।
यह भव्य भवन खेलगांव से होटवार जैल रोड है सिद्धां-कान्दू वेलॉड्रम के सामने हें। भवन के अलावे एक प्रेक्षागृह एबं खुला रंगमंच भी है ।

संस्था का सञ्चालन

पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एबं युवा कार्य विमाग द्वारा संचालित झारखपड कला मंदिर झारखण्ड राज्य का एक प्रमुख सास्कृतिक प्रशिक्षण संस्था है । संस्था के नियमावली के आघार पर संस्था का संचालन (1) अध्यक्ष झा॰क॰मं॰ सह विभागीय राचिव, पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एबं युवा कार्य विभाग
(2) उपाध्यक्ष झा॰क॰मं॰ सह - निदेशक एबं
(3) सचिव, झा॰क॰मं॰ राह सहायक निदेशक (संस्कृति) के द्वारा होता है ।
प्रशासनिक पदाधिकारी एबं कोषाध्यक्ष भी कार्यकारिणी सदस्य के अतर्गत है । कार्यकारिणी समिति में अन्य सदस्य - नाटककार, शिल्पकार, कलाकार, साहित्यकार एबं समाजसेवी को ही सदस्य के रूप में मनोनित की जाती है ।
संस्था के हित सबंधी कार्य के लिए कार्यकारिणी समिति ही बैठक द्वारा निर्णय लेती है । संस्था से अच्छे अनुभवी प्रशिक्षकों  / संगतकारों को नियुक्त किया गया है ।
किसी भी विद्या में प्रशिक्षक / संगतकारों की नियुक्ति की प्रक्रिया चयन समिति के द्वारा की जाती है ।

झारखण्ड कला मंदिर कं कार्यकारिणी समिति कं सदस्यगण

क्रं. नाम एबं पदनाम सदस्य  
 1.  विभागीय सचिव,
 पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवाकायं विभाग
अध्यक्ष    पदेन 
 2.  निदेशक
 पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवाकायं विभाग
 उपाध्यक्ष    पदेन
 3.  सहायक निदेशक(संस्कृति)
 पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवाकायं विभाग
 सचिव  पदेन
 4.  डॉ. कमल कमार बोस  सदस्य  
 5.  श्री दिनेश सिंह  सदस्य  
 6.  श्रीमती रोजलीन लकडा  सदस्य
 7.  श्रीमती कार्मेला एक्का  सदस्य  
 8.  श्रीमती वंदना टेट  सदस्य  
 9.  कोषाध्यक्ष  सदस्य  
 10.  लेखा सह प्रशाफनित्प्त पदाधिकारी  सदस्य  

 


प्रशिक्षण  हेतु प्रवेश ( नामांकन ) 

छात्र-छात्राऔ का नामांकन प्रतिवर्ष माह अप्रैल, मई महीने में प्रारम्भ की जाती है । सभी विद्याओं के नामांकन के लिए प्रतिवर्ष सभी मुख्य अखबारों से विज्ञापन प्रकाशित किया जाता है सस्था में नामांकन हेतु प्रवेश फार्म 10/- रू० शुल्क जमा वनों कार्यालय से प्राप्त कर सकते हैं।

नामांकन शुल्क -100.00 (एक सौ) रू० मात्र है । मासिक शुल्क प्रतिमाह 150/-(एक सौ पचास रू०) मात्र है ।
अनुसुचित जाति अनुसूचित जन जाति ओ॰वी॰२री. एवं बी०पी०एल० परिवार कं सदस्यों कं अतर्गत आने वाले  छात्र छात्राओं   का मासिक शुल्क 50/- (पचास) रू० मात्र प्रतिमाह है । प्रशिक्षण शुल्क प्रतिमाह कार्यालय में जमा करना अनिवार्य है ।

प्रशिक्षण के विषय:

सस्था से दो प्रकार से सभी विधाओं के लिए प्रशिक्षण दी जाती है :…

(1) प्राचीन कला केन्द्र चंडीगढ़ के पाढ़यकम (सिलेबस) के आधार पर संस्था से कत्थक नृत्य, भरतनाट्यम,उडिसी नृत्य, कंठ सगीत, चित्रकला, तबला एवं बांसुरी प्रशिक्षण का मुख्य विषय है । इन समी विषयों का पाठ्यक्रम (सिलेबस) प्राचीन कला केन्द्र चप्रडीगढ़ के द्वारा निर्गत पाठयक्रमों के आधार पर शिक्षा दी जाती है ।

  प्रारंभिक प्रथम खंड  एक वर्ष   02 वर्ष
 प्रारंभिक द्वितीय खंड  एक वर्ष   02 वर्ष
 भूषण प्रथम खंड  एक वर्ष   03 वर्ष
 भूषण द्वितीय खंड     एक वर्ष   03 वर्ष
 भूषण पूर्ण खंड  एक वर्ष   03 वर्ष
 प्रभाकर प्रथम खंड  एक वर्ष   02 वर्ष
  प्रभाकर पूर्ण खंड  एक वर्ष   02 वर्ष
 भास्कर प्रथम खंड  एक वर्ष   02 वर्ष
 भास्कर पूर्ण खंड  एक वर्ष   02 वर्ष


    

वार्षिक परीक्षा (लिखित एबं प्रायोगिक परीक्षा) प्रत्येक वर्ष ली जाती है।


झारखण्ड राज्य के प्रमुख नित्य एवं वाद्य यन्त्र


झारखण्ड राज्य में अनेक जनजातियां है जिनमें प्रमुख नृत्य एवं वाद्य-यंत्र में लोक नृत्य, उरांव नृत्य, मुप्रडारी, नृत्य एवं मांदर का भी प्रशिक्षण दिया जाता है एवं भविष्य में संताली नृत्य, छउ नृत्य, हो नृत्य, खारिया नृत्य, पहाडिया नृत्य, कुरमाली नृत्य आदि विधाओं का प्रशिक्षण प्रारम्भ करने के सम्बन्ध ने विचाराधीन है।

1. लोक  नृत्य :… नागपुरी भाषा में नृत्य संगीत सिखाया जाता है ।डमकच नृत्य, आगनाई नृत्य, शादी नृत्य, करमा नृत्य, पाइंका नृत्य, आदि प्रमुख हैं। या दो वर्ष का पाठयक्रम है ।

ii.  उरांव नृत्य - उरांव भाषा में नृत्य संगीत सिखाया जाता है। सरहुल नृत्य, करम नृत्य, जेठे जतरा नृत्य बेजा (शाती व्याह) फागु पर्व, जीतिया रनात्रा कार्तिक जतरा सोहराई (दिवाली) आदि । यह भी दो वर्ष का प्राढयक़म है ।


iii . मुण्डारी नृत्य :- मुण्डारी भाषा में संगीत नृत्य सिखत्या जाता है। पैका नृत्य, करमा खेल, चुमान, जाये, खेमटा  जदुरा मांगे आदि । यह  भी दो वर्ष का पाठयक्रम है।


।\/. संताली नृत्य - संताली भाषा में नृत्य संगीत सिखाया जाता है। संताली नृत्य संगीत  झारखण्ड कला मंदिर, दुमका में संचालित  है। संताली नृत्य संगीत एक वर्ष का पाठयक्रम है। प्रशिक्षण कार्य पूर्ण सप्ताह  चलता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले 20 बालक-बालिकाओ को सरकार  की और से प्रतिमाह ४००/-: छात्रवृत्ति दी जाती है। संताली नृत्य संगीत के दो भाग है:-


१. महिला नृत्य - सोहराय, बाहा, लागडे, गोलवरी, दुरनमजाकृ दा: बपला , छटियार डाहार एबं
दौड नृत्य प्रमुख है । इनके आलावा  बिना नृत्य के  गीत होंडो रोहोय, गाय चुमावन एबं आती
आदि  ।


२ पुरुष नृत्य -  दसांइं, डांटा , करम, र्रिजा पाईंका शिकार नटुआ पाक, मोनोसा, मोरा एवं
भिनसार  प्रमुख नृत्य है। इसकं अतिरिक्त संगीत एवं बिनती, जवाय, होरोकृ, मड़वा लत्तार,
टकाचाल, गाय जमाव एवं माग सेरेंन आदि ।


V . छऊ नृत्य- गणेज्ञा वंदना  भैसासुर  वध, किरात अर्जुन, अभिमन्यु वध का प्रशिक्षण दिया जाता है । प्राड़यक़म दो वर्ष का है।


VI . मांदर-  झारखण्ड मेँ मादर का बहुत महतवा पूर्ण स्थान  है। मंदार से  ही कोई भी नृत्य-संगीत  की शुरूआत होती है । मांदर सभी नृत्यों में उपयोग जिया जाता है। नृत्य के  आधार प्रर मांदर बजाने का प्रशिक्षण दिया जाता है ।


VII . ट्रिपल ड्रम-  ताल कं आधार पर ट्रिपल ड्रम सिखाया जाता है । ताल इस प्रकार है  एक  ताल, दो ताल, आठ ताल, 16 मात्रा  एवं 32 मात्रा सम्बन्ध्तित है । ट्रिपल ड्रम के द्वारा झारखण्ड कं पमुख नृत्य संगीत से सम्बन्ध्तित ताल सिखाया जाता है । यह पात्यक्रम दो वर्ष का है ।


उपरोक्त ii , iv , एवं v क्रमश: ुराओं नृत्य , संताली नृत्य एवं छौ नृत्य का प्रशिक्षण कतिपय कारणों से बंद है |


समय सारिणी :
झारखण्ड कला  मंदिर से प्रशिक्षण कार्य सप्ताह में "शुक्रवाऱ , शनिवार एवं रविवार को रखा गया है। प्रशिक्षकों / विद्यार्थियों के निर्देशन पर ही समय-सारणी निर्धारित की जाती है। छात्र-छठत्राआँ के संख्या में वृद्धि होने पर शुक्रबार को भी क्लास लिया जाता है। समय-सारणी में अद्धवश्यकत्तऱनुसंऱर परिवर्द्धन भी किया जाता है ।

Subject Room no.   Friday            Saturday                  Sunday
      Time             Time                   Time
   Painting      01     4:00-5:00pm | 5:00-6:00pm    10:00-11:00am | 11:00-12:00pm
   Odissi    02     4:00-5:00pm |  5:00-6:00pm    4:00-5:00pm  |  5:00-6:00pm
   Folk Dance    04     1:00-2:00pm  |  2:00-3:00pm    1:00-2:00pm |   2:00-3:00pm
   Bharatnatyam    04     4:00-5:00pm |  5:00-6:00pm    8:00-9:00am  |  9:00-10:00am
   Tribal dance    05     1:00-2:00pm |   2:00-3:00pm    1:00-2:00pm  |  2:00-3:00pm
   Kathak    05     4:00-5:00pm |   5:00-6:00pm    8:00-9:00am  |  9:00-10:00am
   Flute    06     4:00-5:00pm |   5:00-6:00pm    8:00-9:00am  |  9:00-10:00am
   Mandar    07     1:00-2:00pm  |  2:00-3:00pm    1:00-2:00pm  |  2:00-3:00pm
  Vocal Classical    07     4:00-5:00pm  |  5:00-6:00pm   10:00-11:00am  |  11:00-12:00pm
  Tabla    08     4:00-5:00pm   | 5:00-6:00pm   10:00-11:00am |   11:00-12:00pm
  Triple drum          4:00-5:00pm  |  5:00-6:00pm   4:00-5:00pm  |  5:00-6:00pm

 

ड्रेस/ पहनावा:

झारखण्ड कला मंदिर में नृत्य-संगीत  एवं वाद्य-यत्र में नामाकन के उपरान्त बिषय के अनुसार क्लास में ड्रेस (पहनावा) अनिवार्य है । झारखण्ड के  नृत्यों में भी छश्वात्र-छात्राओ को स्थानीय ड्रेस (पहनावा) व्यवहार करनाअनिवार्य है । प्रशिक्षक ही ड्रेस के सम्बन्ध से अन्तिम निर्णय लेंगे ।

1.    कत्थक नृत्य, भरतनाट्यम नृत्य एवं उडिसी नृत्य :-     सलवार सूट एबं दुपट्रटा
2.    लॉक नृत्य, उरांव नृत्य, मुण्डारी नृत्य, छऊ नृत्य  एवं सादर  :-     पुरूष:धोती  एबं गंजी  महिला- साड़ी
3.    संथाली नृत्य :-    पुरूष: पंची एबं गंजी महिला - लुगी एबं पंची

                                    
वार्षिक परीक्षा :
यह  संस्था प्राचीन कला  कंन्द्र, चंडीगढ़ से  निबंधित है । परीक्षा संचालन हेतु कंन्द्र का निबंधन साध्या 6058 है । वार्षिक परीक्षा का संचालन प्राचीन कला कंन्द्र के सिलेबस (पातृयक़म) कं आघार पर की जाती है । वार्षिक परीक्षा फार्म अगरत/सितम्बर है भरवाया  जाता है । लिखित वार्षिक परीक्षा माह दिसम्बर के अन्तिम सप्ताह से ली जाती है । वार्षिक परीक्षा का प्रायोगिक परीक्षा अप्रेल/ मई  महीने में होती है । ये  समी परीक्षा का कार्यक्रम प्राचीन कला कंन्द्र के द्वारा संचालित होता है ।
झारखण्ड के नृत्य-संगीत /वाद्य-यत्र की वार्षिक परीक्षा हेतु फार्म प्रतिवर्ष अप्रैल माह में भरवाया  जाता है । निश्चित तिथि को लिखित एबं प्रायोगिक परीक्षा ली जाती है । परीक्षा कंन्द्र झारखण्ड कला मंदिर है ।

प्रमाण पत्र - प्राचीन कला केंद्र  द्वारा संचालित परीक्षा"- प्रारम्भिक प्रथम खंड /प्रारम्भिक द्वितीय खपड-2 वर्ष, भूषण प्रथम खण्ड, भूषण द्वितीय खपड एवं पूर्ण…३ वर्ष, विशारद प्रथम खण्ड/ पूर्ण…2 वर्ष एबं भास्कर प्रथम खंड /पूर्ण -२  वर्ष का सिलेबस है । पाढ़यक्रम के आधार  पर प्रतिवर्ष लिखित एबं प्रायोगिक परीक्षा ली जाती है। उतीर्ण छात्र-छात्राओं  को प्राचीन कला  कंन्द्र,  चंडीगढ़ से प्रमाण -पत्र निर्गत की जाती है ।झारखण्ड के प्रमुख नृत्य-संगीत /वाद्य यत्रो की परीक्षा झारखण्ड कला  मंदिर में वार्षिक परीक्षा आयोजित  की जाती है । वार्षिक परीक्षा में उतीर्ण छात्र -छात्राओं कां सस्था की ओर से प्रमाण -पत्र दी जाती है ।

सांस्कृतिक कार्यक्रम एबं चित्रकला प्रदर्शनी:-
कार्यकारिणी  की बैठक कं निर्णयानुसार संस्थान द्वारा साल में दो बार चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किआ  जायेगा जिसमें संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिखुओं द्वारा तैयार किए गये चित्र भी प्रदर्शित किए जाऐंगे ।
मासिक सांस्कृतिक आयोजन में हरेक कला  विद्या का समावेश  होगा जिसका प्रशिक्षण संस्थान द्वारा दिया जा रहा है। इस कार्यक्रम का आयोजन रवय प्रशिक्षु मित्न~जुत्नकर करेंगे जिसमें कार्याकारिणी समिति निर्धारित एक निर्णायक मंडली  प्रतियोगिता का मूल्यांकन  करेगी तथा सर्वश्रेष्ठ स्थान  पर विजेता को ट्राफी भी प्रदान किए जायगा। प्रतिमाह सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन जिया जाता था अब हर दो माह में की जायेगी । झारखण्ड कला मंदिर के द्वारा विभाजन कं पूर्व में छऊ नृत्य,ूराओं नृत्य, मुंदरी  नृत्य एबं संताली नृत्य बिहार राज्य के अलावे राष्टीय (अपना उत्सव (1986) एबं अन्तर्राष्टीय सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रशिक्षण प्राप्त बाल-बालिकाओं ने सराहनीय प्रदर्शन लिये है । राज्य विभाजन के  पश्चात झारखपड कला मंदिर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे  बालक-बालिकाओं ने राज्य स्तरीय एबं राष्टीय सत्तर  के सांस्कृतिक कार्यक्रमो में सराहनीय योगदान दे रहे है । आशा है कि भविष्य में झारखप्रड कला मंदिर में सभी विधाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे छात्र -छात्रों  का सांस्कृतिक क्रायक्रम में उत्क्रिस्ट  प्रदर्शन करेंगे।


आय के श्रोत :-
पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एबं युबाकार्य विभाग द्वारा प्रतिवर्ष झारखण्ड कला मंदिर को राज्य कं सांस्कृतिक संस्था कं आधार पर अनुदान देती है । फार्म शुल्क/प्रवेडा शुल्क /मासिक शुल्क के द्वारा भी आय प्राप्त होता है प्रेक्षागृह के किराये के द्वारा भी आय प्राप्त होती है । आय से प्राप्त राशि झारखपड कला मंदिर के बचत खाता संखथा 11026363384 (भारतीय स्टेट बैंक, शाखा हटिया) में जमा की जाती है ।
झारखण्ड कला' मंदिर के सभी लेखा सम्बन्धी अंकंक्षरग कार्यों  में. आर॰एन॰ मिश्रा एबं कम्पनी कं द्वारा करायी जाती है । अंकंक्षाग कार्य संपादन हेतु कार्याकारिणी समिति ही अकंक्षरुग कम्पनी का चुनाव करती है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने कं उपरान्त झारखण्ड बना मदिर कं लेखा सम्बन्धी कागजात का अंकंक्षमृग कराया जाता है .

 

झारखण्ड कला मंदिर में पदा० एवं कर्मचारियो" की सूची :…

क्र.   पदनाम     
 1.   विभागीय सचिव,
  पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एव युवाकार्य विभाग
  अध्यक्ष
 2.   निदेशक
  पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एव युवाकार्य विभाग
  उपाध्यक्ष
 3.   सहायक निदेशक (संस्कृति)
  पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एव युवाकार्य विभाग
   सचिव
   रांची  एवं  दुमका
 4.   रिक्त पद   लेखा एवं प्रशानिक पदाधिकारी
 5.   श्री ब्रजेश कुमार अधिकारी   लिपिक सह कोषाध्यक्ष झा.क.म.
 6.   श्री गंगाराम महतो सेवानिवृत   कार्यालय सहायक
 7.   श्री नविन कुमार पाठक (दैनिक कर्मचारी )  
 8.   श्री  जीतू कुम्हार   दिन  दरबान
 9.   मो.सज्जाक अली सेवानिवृत (दैनिक कर्मचारी )    आदेशपाल
10.   श्रीमती प्रमिला हेम्ब्रम    कार्यालय पियोन (दुमका )
11.   श्री सिकंदर मरांडी (दैनिक कर्मचारी )    दिन प्रहरी दुमका
12.   श्रीमती नमी गाड़ी (दैनिक कर्मचारी )    सफाई कर्मी
13.   श्रीमती बिजली गाड़ी (दैनिक कर्मचारी )    सफाई कर्मी
14.   प्रदीप टोप्पो (दैनिक कर्मचारी )       मजदूर

 

सभी विधाओं में प्रशिक्षक की सूची

  क्र॰ नाम बिषय मोबाईल नं.
   1.           श्रीमती राबिता मिश्रा    उडिसी नृत्य    9334437594
   2.           सुश्री मृणालिनी ाखोरी    कंठ संगीत    9334346965
   3.         श्रीमती बबली कुमारी    कत्थक नृत्थ   9835762889
   4.        श्रीमती पोलापूं लता  भरतनाट्यम नृत्य   9576627502
   5.        श्रीसंजीव कुमार पाठक    तबला   9434579329
   6.        श्री कुश कुमार करूवा    बांसुरी   8092631788
   7.       श्री गौतम बवशी चित्रकला     9431338767
   8.      श् री एडोल्फ डिडो खलखो       ट्रीपल ड्रम   8298025125
   9.      श्री रामप्रसाद महली    मांदर   7277828297
  10.       श्री संभु  नारायण मुण्डे  जेनजातीय नृत्य   9471313147
  11.       श्री दीनबन्धु ठाकुर    लोकनृत्य   9955442418
  12.       श्रीमती जानकी देवी    लोकनृत्य   9774838252

 

सभी विधाओं में संगीतकारों की सूची

क्र॰ नाम बिषय मोबाईल नं.
  1.     श्री श्यामल  कुमार रॉय        उडिसी नृत्य  8986645959
  2.    श्री अजय कुमार गोस्वामी         कत्थक नृत्य  9708581567
  3.    श्री सतीश कुमार मिश्रा         कत्थक नृत्य  9835719101
  4.   सच्चिदानन्द मजुमदार    भरतनाट्यम नृत्य  7488357546
  5.    श्री देवप्रिय ठाकुर    भरतनाट्यम नृत्य     9430377731
  6.    श्री राजकिशोर सिंह       लोकनित्य  9570021694
  7.    श्री गोपीचन्द प्रमाणिक       जनजातीय नृत्य  9006949310
  8.   श्री गौतम कुमार महतो       जनजातीय नृत्य  8340343800


 

 

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