पाएका

पाएका

paika

झारखण्डी नृत्यों में अवसर विशेष या उत्सव अथवा समारोह व बाराती के स्वागत में पइका नृत्य का कोई जवाब नहीं। आदिवासी-मशन समाज में पइका समस्त नृत्यों में सबसे आकर्षक उत्तेज़क, औजस्वी, मनोरंजक व वीस्तापरक गीत रहित नृत्य है।

पाइका पुरुष प्रधान नृत्य हैं। कहीं-कहीं इस नृत्य में कली (नर्तकी) भी सम्मिलित रहती है। इसमें पाँच, सात, नौ के जोड़े होते हैँ।

पाइका नर्त्तक रंग=विरंगी सजी सजाई झिलमिलाती कलगी लगी या भोर पंख लगी पगड़ी  बांधते है।

पगड़ी न गिर जाए इसलिए उसे ठुढी के नीचे से एक पट्टी  से बांध  दिया जाता है।

युद्ध भूमि की ओर प्रयाण करते अथवा युद्ध जीत कर वीरता पूर्ण भाव से लौटते हुए पाइका  नर्त्तको  की चाल नृत्यमय को जाती है। जोड़े -जोड़े  में कतार अधि कर पर्याप्त दूरी बनाए चलते हैं।

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