खड़िया
खड़िया को आदिम संस्कृति का स्तंभ माना जाता है। ढेवर कमीशन तथा जनजाति कमीशन ने खड़िया को आदिम जनजाति की श्रेणी में रखा था किन्तु स्वतंत्रता के बाद सरकार ने खड़िया को इस सूची से हटाा दिया। ऐसे तो जनजाति और आदिम जाति पर्यायवाची बन गए हैं किन्तु यह भेद इनके पिछड़ेपन के आधार पर किया गया है। खड़िया के तीन वर्ग हैंः- “पहाड़ी खड़िया”, “ढेलकी खड़िया” और “दूध खड़िया”। ये तीनों वर्ग आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से विभिन्न स्तरों पर मिलते हैं। इनमें पहाड़ी खड़िया सबसे अधिक पिछड़ा और दूध खड़िया सर्वाधिक उन्नत है। जो हो, दूध अेर ढेलकी खड़िया मिल कर एक सुसम्बद्ध कबीला समुदाय बन गए हैं।