मुण्डा
मुण्डा झारखण्ड में कोलेरियन समूह की एक सशक्त एवं शक्तिशाली जनजाति है। मुण्डा अपनी मूल भूमि तिब्बत को मानते हैं। वहाँ से चल कर कर्नाटक और महाराष्ट्र की संधि भूमि से मध्य प्रदेश में आये। मुण्डा समाज में प्रचलित एक लोककथा के अनुसार मुण्डा का मूल स्थान तिब्बत माना जाता है किन्तु इस मिथक की अवधारणा की नंगा झाड़ी लेने पर यह तर्क-संगत नहीं लगती। तिब्बत बर्फीला प्रदेश रहा है और बर्फीले प्रदेश के अनुकूल उनका खन-पान एवं पहनावा झारखण्ड के वर्तमान मुण्डा जनजाति से मेल नहीं खाता। समाजशास्त्रीय दृष्टि से भी मुण्डा तिब्बत के मूल निवासी नहीं दीखते। सबसे बड़ी बात है कि तिब्बत सदा से धर्म-प्राण देश रहा है और बौद्ध दर्शन के प्रभाव में आने के पहले घोर ईóरवादी और पुनर्जन्म मकें विöास करनेवाला रहा। एक ही बात मुण्डाओं को इस मिथक के पास ले जाती है कि भाषा के स्तर पर तिब्बती चित्रलिपि मोहनजोदड़ो की लिपि से मिलती है, जो शायद मुण्डा की लिपि रही हो। किन्तु इस जनजाति के जीवन का अधिकांश पक्ष का तालमेल दक्षिण से अधिक बैठता है।