बिरहोर

बिरहोर

birhor

बिरहोर झारखण्ड की विलुप्त होती जा रही अल्पज्ञात आदिम जनजाति है। यह एक घुमन्तु जाति है जो छोटे-छोटे समूहों मेें, परम्परा से जंगलों मेें रह कर, घूम-फिर कर कंद-मूल, फल-फूल आदि वन्य पदार्थों का संग्रह कर तथा शिकार द्वारा अपना जीवनयापन करती है।


 “बिर” का अर्थ जंगल और “होर” (होड़) का अर्थ आदमी होता है। अतः नाम से ही पता चलता है कि वे “जंगल के लोग” हैं। मुण्डारी में “बिरहोर” का अर्थ लकड़ी काटने वाला (लकड़हारा) होता है। ये पहाड़ों-जंगलों में शांत, एकांत जीवन जीते हैं। इस जनजाति की ओर सर्वप्रथम ब्रिटीश प्रशासकों का ध्यान 19वीं शताब्दी के मध्य में गया जिनमें डाल्टन, हेनरी पैडिगंटन, डेपरी, फोरबिस, हंटर, ड्राइवर, रिजले आदि प्रमुख हैं। इन लोगों के नोट, रिपोर्ट, आलेख में बिरहोर का उल्लेख एवं वर्णन मिलता है।

Art & Culture © 2018. All right reserved.

Total Visitor: